गजल कहने की ख्वाहिश हो रही है..पर झूमे श्रोता

देवबंद : अदबी व समाजी संस्था बज्मे सुखन के तत्वावधान में शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। इसमें शायरों ने सुंदर कलाम पेश कर देर रात तक समां बांधे रखा।

बुढ़ाना से आए मेहमान शायर तारिक उस्मानी के सम्मान में मोहल्ला कायस्थवाड़ा में हुई शेरी नशिस्त का आगाज दिलशाद खुशतर की नाते पाक से हुआ। तारिक उस्मानी ने अपने असआर में कुछ यूं कहा ‘आईना हर दौर में तोड़ा जाता है, लेकिन सच को कुदरत ¨जदा रखती है’। दानिश आमरी ने अपने अंदाज में कुछ यूं कहा ‘गमों की तेज बारिश हो रही है, गजल कहने की ख्वाहिश हो रही है’। शमीम किरतपुरी ने कहा ‘¨जदगी इश्क के आजार में कट जाएगी, कभी खलवत कभी बाजार में कट जाएगी’। राशिद कमाल ने पढ़ा ‘अच्छे दिन आएंगे राशिद लोग कहते थे मगर, बदनसीबी देखिए मुश्किल निवाले हो गए’। हास्य व्यंग्य के शायर चौकस देवबंदी के इस शेर ‘मेरा नहीं तो बाप का साला कोई तो हो, मैं मर रहा हूं देखने वाला कोई तो हो’ ने श्रोताओं को देर तक गुदगुदाया। उस्ताद शायर शम्स देवबंदी का अंदाजे बयां कुछ यूं था ‘मुझको लबरेज गिलासों की नहीं हिर्स कोई, मेरे हिस्से में अगर कम है तो कम रहने दे’। अब्दुल्ला राज के इन असआर’ क्या उनको नजर आएगा उम्मीद का सूरज, जुलमत में दीये जिनको जलाने नहीं आते’ने खूब दाद बटोरी। इनके अलावा फिरोज खान, नईम अख्तर, नफीस अहमद, जावेद आसी, तनवीर अजमल, डा. सलमान दिलकश, जहांगीर ने भी अपने कलाम पेश किए। अध्यक्षता फिरोज खान ने की, जबकि संचालन राशिद कमाल ने किया। संस्था महासचिव शम्स देवबंदी व अब्दुल वहीद ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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