ISRO ने एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर बनाया विश्व रिकाॅर्ड

ISRO ने 15 फरवरी को एक ही रॉकेट से रिकॉर्ड 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया। यह प्रक्षेपण PSLB-सी37 रॉकेट के माध्यम से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। ISRO ने ध्रुवीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान (पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल – PSLB) के माध्यम से काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 103 नैनो उपग्रहों को सटीक ढंग से कक्षा में प्रवेश करा दिया। यह ISRO की लगातार 38वीं सफलता है।

किन उपग्रहों का किया गया प्रक्षेपण

ISRO ने PSLB के माध्यम से काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 103 नैनो उपग्रहों को 30 मिनट के अंतराल पर कक्षा में प्रवेश करा दिया। रॉकेट ने सबसे पहले भारत के काटरेसैट-2 श्रेणी के 714 किलोग्राम के उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया और इसके बाद शेष 103 नैनो उपग्रहों को प्रवेश कराया गया। इनमें दो अन्य उपग्रह ISRO के आईएनएस-1A और आईएनएस-1B थे। इसके अलावा 96 उपग्रह अमेरिका के थे। इस्राइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात का एक-एक उपग्रह था। हर नैनो उपग्रह का वजन दस किलोग्राम से कम है। उपग्रहों को ध्रुवीय सौर स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया गया।

काटरेसैट-2 का क्या है उपयोग?

भारत के काटरेसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह ऐसी तस्वीरें भेजेगा, जो तटीय भू प्रयोग एवं नियमन, सड़क तंत्र निरीक्षण, जल वितरण, भू-प्रयोग नक्शों का निर्माण आदि कार्य में सहायक होंगी।

विश्व में भारत का स्थान

15 अगस्त 1969 में जब विक्रम साराभाई के नेतृत्व में ISRO ने अपना आगाज किया और पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट बनाया था, जिसे सोवियत यूनियन ने 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया था। तब किसी ने सोचा नहीं होगा कि यही ISRO आगे चलकर दुनिया भर में भारत का झंडा बुलंद करेगा। ISRO ने रूस की अंतरिक्ष एजेंसी को पीछे छोड़ दिया, जिसने 2014 में एक ही बार में 37 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे। वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब तक एक बार में एक साथ 29 सैटेलाइट ही भेज पाया है। ISRO ने इससे पहले जून 2015 में सबसे ज्यादा 20 उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित किए थे।

भारत की उपलब्धि बेहद कम निवेश में

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में किसी देश की प्रगति को निवेश के अनुरूप देखा जाता है। विश्व आर्थिक फोरम के वर्ष 2016 के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013 में अमेरिका का अंतरिक्ष बजट 39.3 अरब डॉलर, चीन का 6.1 अरब डॉलर, रूस का 5.3 अरब डॉलर, जापान का 3.6 अरब डॉलर और भारत का 1.2 अरब डॉलर है।

सैटेलाइट लॉन्चिंग बाजार में भारत का प्रवेश

पिछले कुछ सालों में भारत सैटेलाइट लॉन्चिंग के बाजार में भरोसेमंद देश बनकर सामने आया है। सैटेलाइट लॉन्चिंग के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत अब महाशक्तियों को टक्कर देने लगा है। इस ऐतिहासिक कामयाबी से पहले ISRO ने दुनिया के 21 देशों के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर चूका है। इसमें गूगल और एयरबस जैसी बड़ी कंपनियों के सैटेलाइट भी शामिल रहे हैं। इस जटिल मिशन ने एक बार फिर व्यावसायिक प्रक्षेपणों को अंजाम देने की ISRO की क्षमताओं को साबित कर दिया है। अब तक ISRO ने 226 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, जिनमें 179 उपग्रह बाहरी देशों के हैं। कई अरब डॉलर के प्रक्षेपण उद्योग में अपनी बढ़त दर्ज कराते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मिशन से ISRO को करीब 100 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।

ISRO दुनिया में सबसे सस्ता और भरोसेमंद

भारत से सैटेलाइट लॉन्च करना दुनिया में सबसे सस्ता और भरोसेमंद है, इसलिए भारत सैटेलाइट लॉन्चिंग के बाजार में तेजी से उभर रहा है। अमेरिका, जापान, चीन और यूरोप की तुलना में सैटेलाइट लॉन्चिंग भारत में 66 गुना सस्ता है। रूस भी सस्ते में सैटेलाइट लॉन्च करता है लेकिन वहां से भी लॉन्चिंग भारत की तुलना में चार गुना महंगा है। सस्ता सैटेलाइट लॉन्चिंग बाजार में भारत को सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा चीन से है, लेकिन सस्ता श्रम और कम लागत के कारण ISRO से उसे टक्कर मिल रही है।

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